Funding provisions for disaster management in India are decided upon by the recommendations of successive Finance Commissions.
Departing from the routine expenditure based approach, XV Finance Commission has also taken note of disaster risk faced by the states and has allocated funds not only for pre-disaster mitigation, preparedness and capacity building but also for post-disaster rehabilitation and reconsatruction.
हमारे देश में केन्द्र सरकार को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करो सहित विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त होने वाली धनराशि को संविधान के अनुच्छेद 280 के अन्तर्गत की गयी व्यवस्था के अनुरूप प्रत्येक 05 वर्ष में गठित किये जाने वाले वित्त आयोग (Finance Commission) की संस्तुतियों के अनुसार आपदा प्रबन्धन सहित अन्य सभी कार्यो के लिये राज्यों को उपलब्ध करवाया जाता हैं।
प्रत्येक राज्य के लिये इन वित्तीय संसाधनों का परिमाण, व इन्हे व्यय करने के लिये आधारभूत नियम या मार्गनिर्देश भी सम्बन्धित मंत्रालय या विभाग के द्वारा वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर ही प्रख्यापित किये जाते हैं।
वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिये केन्द्र सरकार व राज्यों को आपदा प्रबन्धन सम्बन्धित प्रयोजनों के लिये 15वे वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुसार धनराशि उपलब्ध करवायी जा रही हैं।
आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में लम्बे समय से आपदा घटित होने के बाद हमेशा से किये जाने वाले राहत एवं बचाव कार्यो के स्थान पर आपदा पूर्व रोकथाम, न्यूनीकरण एवं पूर्व तैयारी पर ध्यान केंद्रित करने की वकालत की जा रही हैं, परन्तु अभी हाल तक इन सब कार्यो के लिये संस्थागत रूप में आर्थिक संसाधन उपलब्ध थे ही नहीं। इस सन्दर्भ में 15वे वित्त आयोग की संस्तुतियों को हमेशा उसके द्वारा संस्तुत क्रन्तिकारी परिवर्तनों के लिये याद किया जायेगा।
आपदा प्रबन्धन हेतु राज्यों को दी जाने वाली धनराशि का निर्धारण करने के लिये पूर्व के वित्त आयोगों के विपरीत केवल आपदा सम्बन्धित प्रयोजनों पर राज्यों द्वारा पूर्व में किये गये व्यय के स्थान पर जहाँ एक ओर 15वे वित्त आयोग के द्वारा राज्यों पर आसन्न आपदाओं के जोखिम को संज्ञान में लिया गया, वही दूसरी ओर पहली बार आपदा पूर्व न्यूनीकरण तथा क्षमता विकास के साथ ही आपदा उपरान्त पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण के लिये भी संस्थागत वित्तीय व्यवस्था की संस्तुति की गयी।
Disaster Management and Funding Provisions – पृष्ठभूमि
केन्द्र सरकार के द्वारा आपदाओं का सामना करने के लिये राज्यों को यथा आवश्यकता आर्थिक व तकनीकी सहायता उपलब्ध करवायी जाती हैं, परन्तु फिर भी हमारे देश में आपदाओं का प्रबन्धन सम्बन्धित राज्य का ही उत्तरदायित्व हैं।
अपनी संस्तुतियों को अन्तिम स्वरुप देने से पहले 15वे वित्त आयोग के द्वारा स्थापित आपदा प्रबन्धन व्यवस्था की गहन विवेचना व अध्ययन कर निम्नलिखित बिन्दुओ को रेखांकित किया गया:
- तीक्ष्ण आपदा के स्थिति में राष्ट्रीय आपदा प्रतिवेदन कोष (NDRF) से अतिरिक्त संसाधन तो निश्चित ही उपलब्ध हो जाते हैं, परन्तु फिर भी आपदा से जुड़े अधिकांश व्यय का वहन सम्बन्धित राज्य के द्वारा राज्य आपदा प्रतिवेदन कोष (SDRF) से ही किया जाता हैं
- पूर्व-तैयारी, प्रतिवादन, न्यूनीकरण, पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण सहित आपदा प्रबन्धन सम्बन्धित सभी पक्षों के लिये समग्र रूप से वित्तीय व्यवस्था करने के स्थान पर आपदा प्रबन्धन व्यवस्था का झुकाव प्रतिवादन की ओर ही रहा हैं
- आपदा प्रबन्धन अधिनियम, 2005 में व्यवस्था तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद भी न्यूनीकरण कोष की व्यवस्था नहीं की गयी हैं
- आपदा प्रबन्धन के लिये उत्तरदायी संस्थाओ के क्षमता विकास को किसी भी स्तर पर अपेक्षित महत्त्व नहीं दिया गया हैं
- 13वे वित्त आयोग के द्वारा क्षमता विकास के लिये की गयी वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था को 14वे वित्त आयोग के द्वारा समाप्त कर दिया गया
- राज्यों के लिये वित्तीय संसाधनों का निर्धारण व्यय आधारित पद्धति के द्वारा किया जाता रहा हैं, जो की पक्षपातपूर्ण है
- व्यय आधारित पद्धति की वजह से प्रारम्भ में कम व ज्यादा वित्तीय सहायता पाने वाले राज्यों के मध्य असमानता को बढ़ावा मिला हैं
- 14वे वित्त आयोग के द्वारा वित्तीय संसाधनों के निर्धारण हेतु की गयी घातकता व जोखिम आंकलन की संस्तुति पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी हैं
- 14वे वित्त आयोग के द्वारा वित्तीय संसाधनों हेतु केन्द्र व राज्यों में लिये संस्तुत की गयी 90 व 10 अनुपात की व्यवस्था को क्रियान्वित नहीं किया गया और 13वे वित्त आयोग के द्वारा सामान्य राज्यों के लिये संस्तुत 75 व 25 अनुपात की व्यवस्था तथा पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों के लिये 90 व 10 अनुपात की व्यवस्था को जारी रखा गया
- 14वे वित्त आयोग की संस्तुतियों की क्रियान्वयन आख्या में हालाँकि केन्द्र सरकार के द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के प्रभावी हो जाने के उपरान्त राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता कर (NCCD) के माध्यम से एकत्रित होने वाली धनराशि में कमी के कारण राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) के परिमाण में आने वाली कमी का उल्लेख करते हुवे सभी राज्यों के लिये 90 व 10 अनुपात की व्यवस्था किये जाने का उल्लेख किया था, परन्तु इसके उपरान्त भी केन्द्र व राज्यों हेतु 75 व 25 अनुपात की व्यवस्था को जारी रखा गया
Disaster Management and XV FC – 15वे वित्त आयोग की संस्तुतिया
विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श व मंत्रणा के उपरान्त 15वे वित्त आयोग के द्वारा की गयी संस्तुतियों को नीचे दिये गये अनुच्छेदों में सारांशित किया गया हैं।
Mitigation Fund – न्यूनीकरण कोष
- आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 47 व 48 के अनुसार क्रमशः राष्ट्र व राज्य के स्तर पर राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) तथा राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) की व्यवस्था
- न्यूनीकरण कोष का उपयोग जोखिम न्यूनीकरण के साथ ही पर्यावरण अनुकूल बसावत तथा आजीविका प्रोत्साहन सम्बन्धित स्थानीय तथा समुदाय आधारित हस्तक्षेपों हेतु अनुमन्य
- वृहद स्तरीय न्यूनीकरण उपायों का क्रियान्वयन न्यूनीकरण कोष के स्थान पर विकास कार्यो की नियमित योजनाओ के अन्तर्गत किया जाना
- न्यूनीकरण कोष के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) के परामर्श से गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मार्गनिर्देश निर्गत किये जाने की व्यवस्था
- आपदा प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 47 व 48 के अनुसार राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) तथा राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) के संचालन का उत्तरदायित्व क्रमशः राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) तथा राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (SDMA) को
Disaster Management Related Arrangements – आपदा जोखिम प्रबन्धन हेतु वित्तीय व्यवस्थाये
- राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (NDRMF) तथा राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) का गठन
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था के प्रभावी हो जाने के उपरान्त राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता कर (NCCD) के माध्यम से एकत्रित होने वाली धनराशि में कमी के साथ ही न्यूनीकरण कोष के गठन के कारण केन्द्र सरकार के ऊपर पड़ने वाले आर्थिक दबाव के दृष्टिगत राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) व राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) के लिये केन्द्र व राज्यों हेतु 75 व 25 के अनुपात में योगदान की व्यवस्था
- पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों के लिये यह अनुपात 90 व 10
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) का परिमाण रु 1,60,153 करोड़, जिसमे रु 1,22,610 करोड़ केन्द्रांश
- राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) का 80 प्रतिशत राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) तथा 20 प्रतिशत राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) के लिये
- राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) 03 भागो में विभक्त; (i) प्रतिवादन व राहत (SDRMF का 40% या SDRF का 50%), (ii) पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण (SDRMF का 30% या SDRF का 37.5%) तथा (iii) पूर्वतैयारी व क्षमता विकास (SDRMF का 10% या SDRF का 12.5%)
- राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) के 03 भागो में 10 प्रतिशत की सीमा तक पुनर्विनियोग की व्यवस्था
- राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) के परिमाण के निर्धारण के लिये व्यय आधारित पद्धति के स्थान पर राज्यों की घातकता व उन पर आसन्न जोखिम को भी संज्ञान में लिया गया और नयी पद्धति के अनुसार (i) पूर्व के व्यय के आधार पर राज्यों की क्षमता, (ii) क्षेत्रफल व आबादी के आधार पर आसन्न जोखिमों, तथा (iii) आपदा जोखिम सूचकांक के आधार पर संकट व घातकता को संज्ञान में लिया गया
- राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता कर (NCCD) के माध्यम से एकत्रित होने वाली धनराशि में कमी के दृष्टिगत केंद्र सरकार द्वारा स्वयं के संसाधनों से वार्षिक बजट के अन्तर्गत आपदा वित्तपोषण की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (NDRMF) का परिमाण रु 68,436 करोड़ निर्धारित
- राज्यों के लिये की गयी व्यवस्था के अनुरूप राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (NDRMF) भी 80:20 के अनुपात में राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) व राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) में विभक्त
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) व राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) के अन्तर्गत क्रमशः रु 54,770 करोड़ व रु 1,28,122 करोड़ की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) व राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) के अन्तर्गत क्रमशः रु 13,693 करोड़ व रु 32,031 करोड़ की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) व राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) के अन्तर्गत प्रतिवादन व राहत हेतु क्रमशः रु 27,385 करोड़ व रु 64,061 करोड़ की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) व राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) के अन्तर्गत पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण हेतु क्रमशः रु 20,539 करोड़ व रु 48,046 करोड़ की व्यवस्था
- पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण सम्बन्धित सहायता लेने के लिये आपदा उपरान्त आवश्यकता आंकलन (PDNA) किया जाना अनिवार्य
- आपदा उपरान्त आवश्यकता आंकलन (PDNA) के अन्तर्गत आवास, अवसंरचना व आजीविका सहित अन्य क्षेत्रों को आपदा के कारण हुयी क्षति के साथ ही पुनर्निर्माण व पुनर्प्राप्ति आवश्यकताओं का आंकलन करते हुवे प्रत्येक क्षेत्र के लिये वार्षिक आवंटन का आंकलन किया जाना आवश्यक
- पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण सम्बन्धित अंश के सम्बन्ध में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) के परामर्श से गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मार्गनिर्देश निर्गत किये जाने की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) व राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (SDRF) के अन्तर्गत पूर्वतैयारी व क्षमता विकास हेतु क्रमशः रु 6,846 करोड़ व रु 16,015 करोड़ की व्यवस्था
- पूर्वतैयारी व क्षमता विकास मद के अन्तर्गत राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरणों, राज्य आपदा प्रबन्धन संस्थानों, प्रशिक्षण व व क्षमता विकास क्रियाकलापों तथा आपातकालीन उपकरणों के क्रय के साथ ही आपातकालीन प्रतिवादन व्यवस्थाओ पर व्यय अनुमन्य
- पूर्वतैयारी व क्षमता विकास मद का उपयोग अधिष्ठान व स्थापना सम्बन्धित कार्यो हेतु अनुमन्य नहीं
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) के अन्तर्गत उपलब्ध पूर्वतैयारी व क्षमता विकास मद का उपयोग राष्ट्रीय बलों के संवर्धन व क्षमता विकास हेतु अनुमन्य
- पूर्वतैयारी व क्षमता विकास मद के सम्बन्ध में गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मार्गनिर्देश निर्गत किये जाने की व्यवस्था
- गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आपदा प्रभावितो को अनुमन्य राहत के मानकों के सम्बन्ध में राज्यों को कुछ स्वतंत्रता देते हुवे मार्गनिर्देश निर्गत किये जाने की व्यवस्था
Specific Allocations – कुछ विशिष्ट क्षेत्रों हेतु आवंटन
- 15वे वित्त आयोग के द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) तथा राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के अन्तर्गत विशिष्ठ प्राथमिकताओं वाले तथा राज्यों की सीमाओं से इतर राष्ट्र के स्तर से हस्तक्षेप आकृष्ट करने वाले अग्नि सुरक्षा, समुद्र व नदी तटीय क्षरण, शहरी बाढ़, भू-स्खलन एवं सूखे जैसे पूर्वतैयारी, न्यूनीकरण एवं पुनर्प्राप्ति सम्बन्धित क्रियाकलापों को चिन्हित करते हुवे उनके लिये संसाधनों की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) के अन्तर्गत रु 6,000 करोड़, यथा (i) अग्निशमन सेवाओं के विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिये रु 5,000 करोड़, तथा (ii) समुद्र व नदी तटीय क्षरण के कारण विस्थापित व्यक्तियों के पुनर्वास के लिये रु 1,000 करोड़ की व्यवस्था
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के अन्तर्गत चिन्हित 04 क्षेत्रो के लिये रु 5,950 करोड़, यथा (i) 12 सर्वाधिक सूखा प्रभावित राज्यों को सूखा न्यूनीकरण योजना तैयार करने के लिये रु 1,200 करोड़, (ii) भूकम्प एवं भू-स्खलन प्रबन्धन के लिये 10 पर्वतीय राज्यों के लिये रु 750 करोड़, (iii) 07 सर्वाधिक आबादी वाले शहरों को शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिये रु 3,500 करोड़, तथा (iv) भू-क्षरण रोकथाम हेतु रु 1,500 करोड़ की व्यवस्था
- 12 सर्वाधिक सूखा प्रभावित राज्यों को सूखा न्यूनीकरण योजना तैयार करने तथा भूकम्प एवं भू-स्खलन प्रबन्धन के लिये 10 पर्वतीय राज्यों हेतु आवंटित संसाधनों के अतिरिक्त चिन्हित अन्य सभी विशिष्ठ प्राथमिकताओं वाले इन क्रियाकलापों के अन्तर्गत राज्य सरकार को 10 प्रतिशत का योगदान देने की व्यवस्था
- विशिष्ठ प्राथमिकताओं वाले इन क्रियाकलापों के सम्बन्ध में मार्गनिर्देश निर्गत किये जाने का उत्तरदायित्व राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (NDMA) तथा गृह मंत्रालय, भारत सरकार को
Modernisation of Fire Service – अग्निशमन सेवाओं का विस्तार एवं आधुनिकीकरण
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) के पूर्वतैयारी व क्षमता विकास मद के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि में राज्य स्तर पर अग्निशमन सेवाओं के विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिये रु 5,000 करोड़ की व्यवस्था
- उक्त का लाभ उठाने के लिये राज्यों को पृथक से गृह मंत्रालय, भारत सरकार को प्रस्ताव उपलब्ध करवाने की व्यवस्था
Drought Mitigation – 12 सर्वाधिक सूखा प्रभावित राज्यों हेतु न्यूनीकरण योजना
- सूखे से प्रायः प्रभावित होने वाले आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखण्ड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना तथा उत्तर प्रदेश के लिये रु 100 करोड़ प्रति राज्य की दर से वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि में राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के अन्तर्गत को सूखे की बारम्बारता से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिये दूरगामी जनपद स्तरीय सूखा न्यूनीकरण योजना तैयार करने हेतु रु 1,200 करोड़ की व्यवस्था
Earthquake and Landslide Management – भूकम्प एवं भू-स्खलन प्रबन्धन
- राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिये भूकम्प एवं भू-स्खलन प्रबन्धन सम्बन्धित प्रयोजनों के लिये 750 करोड़ की व्यवस्था
- उत्तराखण्ड व हिमांचल प्रदेश के लिये रु 500 करोड़ तथा पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के लिये रु 250 करोड़
Urban Flood Protection – शहरी बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण
- राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि में विशेष रूप अधिक आबादी वाले से क्षेत्रों के बारम्बारता में शहरी बाढ़ से प्रभावित होने के दृष्टिगत शहरी बाढ़ के जोखिम को कम करने तथा समन्वयित बाढ़ सुरक्षा उपायों के क्रियान्वयन हेतु रु 2,500 करोड़ की व्यवस्था
- सर्वाधिक आबादी वाले मुंबई, चेन्नई व कोलकाता के लिये प्रति शहर रु 500 करोड़ की दर से रु 1,500 करोड़ तथा बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद तथा पुणे के लिये प्रति शहर रु 250 करोड़ की दर से रु 1,000 करोड़ की व्यवस्था
Erosion Control – भू-क्षरण रोकथाम व न्यूनीकरण उपाय
- वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि में समुद्र व नदी तटीय क्षरण के रोकथाम व तद्सम्बन्धित न्यूनीकरण उपायों के क्रियान्वयन के लिये राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) के अन्तर्गत रु 1,500 करोड़ की व्यवस्था
- उक्त के अन्तर्गत सम्बन्धित राज्य को गृह मंत्रालय, भारत सरकार को प्रस्ताव उपलब्ध करवाये जाने की व्यवस्था
Rehabilitation – समुद्र व नदी तटीय क्षरण के कारण विस्थापित व्यक्तियों का पुनर्वास
- समुद्र व नदी तटीय क्षरण के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापित होने वाले समुदायों के पुनर्वास के लिये राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) के पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण मद के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि में रु 1,000 करोड़ की व्यवस्था
- उक्त का लाभ लेने के लिये राज्यों को पृथक से प्रस्ताव उपलब्ध करवाये जाने की व्यवस्था
आशा हैं कि आपदा प्रबन्धको, आपदा प्रभावितो ,जन सामान्य, तथा प्रभावितो की सहायता हेतु आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जाने वाले व्यक्तियों को इस जानकारी से लाभ हुवा होगा और भविष्य में वह इस जानकारी का उपयोग कर आपदा उपरान्त राहत, पुनर्वास, पुनर्स्थापना व पुनर्निर्माण से सम्बन्धित उपलब्ध विकल्पों को उपयोग में ला कर विकास को गति देने के साथ ही आपदाओं के जोखिम को कम करने हेतु महत्चपूर्ण योगदान दे पायेंगे
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