Get to know about the innovative approach of XV Finance Commission for allocating resources for disaster management related purposes to the states.
हमारे देश में ज्यादातर स्थितियों में सरकारी कामकाज पूर्व के दृष्टांतो के आधार पर किया जाता है, और देखा जाये तो हमारे बाबुओ द्वारा अपनायी गयी यह पद्धति जोखिम को न्यूनतम करने का अत्यन्त कारगर उपाय हैं। फिर इस विधि का पालन करने से सफलता ना मिल पाने की स्थिति में सरलता से सारा का सारा दोष दृष्टांत स्थापित करने वाले व्यक्ति या संस्था के ऊपर मढ़ देने की छूट भी मिल ही जाती हैं।
ऐसे में हमारे देश में ना तो सरकार से नवाचार की अपेक्षा की जाती हैं और ना सरकार नवाचार पर ध्यान ही देती हैं। पर ध्यान दिया जाये या नहीं, नवाचार की सलाह तो दी ही जाती हैं।
नवाचार की बात करने व सलाह देने के बाद भी पूर्व के सभी वित्त आयोगो (Finance Commission) के द्वारा आपदा सम्बन्धित प्रयोजनों के लिये राज्यों को दी जाने वाली धनराशि के परिमाण के निर्धारण के लिये बाबा आदम के ज़माने से चली आ रही व्यय आधारित पद्धति का ही उपयोग किया जाता रहा हैं। अब वह 9वे वित्त आयोग द्वारा स्थापित आपदा राहत कोष (Calamity Relief Fund; CRF) हो या फिर 13वे वित्त आयोग द्वारा स्थापित राज्य आपदा प्रतिवादन कोष (State Disaster Response Fund; SDRF), किस राज्य का हिस्सा कितना होगा इसका निर्धारण पूर्व के वर्षो में आपदा सम्बन्धित प्रयोजनों पर राज्य के द्वारा किये गये खर्चो के द्वारा ही निर्धारित किया गया। ऐसे में जिसे पहले से ज्यादा मिलता रहा, स्वाभविक हैं कि वह ज्यादा खर्च करता रहा और इस परिपाटी के अनुसार आगे के सालो के लिये ज्यादा दिये जाने कि उसकी दावेदारी भी प्रबल होती चली गयी।
इस लिहाज से 15वे वित्त आयोग की संस्तुतियों को हमेशा उसके द्वारा संस्तुत क्रन्तिकारी परिवर्तनों के लिये याद किया जायेगा। 15वे वित्त आयोग के द्वारा आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) लक्ष्यों की प्राप्ति के दृष्टिगत पहली बार आपदा पूर्व न्यूनीकरण तथा क्षमता विकास के साथ ही आपदा उपरान्त पुनर्प्राप्ति व पुनर्निर्माण की आवश्यकता को स्वीकारते हुवे इन कार्यो हेतु औपचारिक रूप से आर्थिक संसाधनों की व्यवस्था गयी।
वैसे देखा जाये तो 15वा वित्त आयोग आपदा सम्बन्धित प्रयोजनों के लिये राज्यों को दी जाने वाली धनराशि के परिमाण के निर्धारण के लिये पूर्व की आयोगों द्वारा उपयोग में लायी जा रही व्यय आधारित पद्धति को पूरी तरह से नकार नहीं पाया, परन्तु उसके द्वारा इसे 70 प्रतिशत का अधिमान देने के साथ ही राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) के अन्तर्गत राज्यों की हिस्सेदारी के निर्धारण के लिये उनके क्षेत्रफल व आबादी के साथ ही उन पर आसन्न संकट व घातकता को भी संज्ञान में लिया गया।
पूर्व के वर्षो में किया गया व्यय
राज्यों के द्वारा आपदा राहत पर पूर्व के वर्षो में किये गये व्यय के आंकलन के लिये 15वे वित्त आयोग ने राज्यों के द्वारा मुख्य लेखा शीर्षक 2245 के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2017-18 के मध्य 07 वर्षो में किये गये व्यय को संज्ञान में लिया गया। तदोपरान्त इन वर्षो में राज्य को राष्ट्रीय आपदा प्रतिवादन कोष (NDRF) से प्राप्त धनराशि को घटाया गया। अन्त में इस धनराशि को मुद्रास्फीति के सापेक्ष समायोजित करते हुवे प्रत्येक राज्य के लिये औसत व्यय का निर्धारण किया गया।
पुनर्गठित राज्यों, यथा आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के सन्दर्भ में वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2014-15 के मध्य की अवधि के आवंटन के आंकलन के लिये 14वे वित्त आयोग द्वारा सुझायी गयी विधि का उपयोग किया गया।
राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) के अन्तर्गत राज्यों के आवंटन के निर्धारण के लिये 15वे वित्त आयोग के द्वारा पूर्व के वर्षो में किये गये व्यय को 70 प्रतिशत का अधिमान (AE70) दिया गया।
घातकता आंकलन
15वे वित्त आयोग के द्वारा राज्यों की घातकता से सम्बन्धित अधिमान के निर्धारण के लिये निम्नलिखित कारणों से महाराष्ट्र को आधार राज्य मानते हुवे उसके भौगोलिक क्षेत्रफल व आबादी को संज्ञान में लिया गया:
(i) 15वे वित्त आयोग के आवंटन अवधि के अन्तिम वर्ष, 2019-20, में राज्य आपदा प्रतिवादन कोष के अन्तर्गत सर्वाधिक आवंटन (ii) औसत आकार; सर्वाधिक भौगोलिक क्षेत्रफल व आबादी वाला राज्य न होने के कारण महाराष्ट्र इकाई अधिमान निर्धारण हेतु उपयुक्त, (iii) भौगोलिक विविधता के साथ ही विभिन्न आपदाओं से प्रभावित होना, (iv) विभिन्न आपदाओं के प्रति संवेदनशील देश में सर्वाधिक शहरी आबादी वाला राज्य, (v) राज्य में अति सूखा जनपदों का अवस्थित होना, (vi) राज्य का बाढ़, भू-स्खलन व भूकम्प से निरन्तरता में प्रभावित होना, (vii) राज्य की सुसाशन सम्बन्धित उपलब्धिया, तथा (viii) पूर्व की आपदाओं का कौशल व निपुणता से सामना करने का अनुभव।
उपरोक्त विशेषताओं के कारण महाराष्ट्र आधार राज्य के सन्दर्भ में सर्वथा उपयुक्त था।
अतः महाराष्ट्र के राज्य आपदा प्रतिवादन कोष के आवंटन के आधार पर 15वे वित्त आयोग के द्वारा प्रति व्यक्ति तथा प्रति वर्ग किलोमीटर आवंटन का निर्धारण करते हुवे इन्हे अन्य सभी राज्यों के सन्दर्भ में उपयोग में लाया गया।
राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) के अन्तर्गत राज्यों के आवंटन के निर्धारण के लिये 15वे वित्त आयोग के द्वारा पूर्व के वर्षो में किये गये व्यय को 70 प्रतिशत का अधिमान (AE70) दिया गया।
15वे वित्त आयोग के द्वारा भौगोलिक क्षेत्रफल व आबादी, दोनों को ही 15 प्रतिशत का अधिमान देते हुवे इनके आधार पर 30 प्रतिशत अधिमान का निर्धारण किया गया; A15 + P15
राज्यों पर आसन्न संकट
15वे वित्त आयोग के द्वारा पूरे देश को प्रभावित करने वाली 04 मुख्य आपदाओं, यथा बाढ़, सूखा, चक्रवात व भूकम्प को संज्ञान में लिया गया और प्रत्येक के लिये प्रभावों की बढ़ती हुयी तीव्रता के आधार पर 0, 5, 10 व 15 अंको की व्यवस्था की गयी।
इसके साथ ही प्रायः सभी राज्यों को प्रभावित करने वाले स्थानीय संकटो के लिये 10 अंको की व्यवस्था करते हुवे इस प्रकार संकटो के लिये अधिकतम 70 अंको का प्रावधान किया गया।
आपदा जोखिम
राज्यों पर आसन्न आपदाओं के जोखिम के आधार पर अधिमान के निर्धारण के लिये 15वे वित्त आयोग के द्वारा संकट व घातकता के आधार पर निर्धारित अंको को जोड़ते हुवे एक वस्तुनिष्ठ आपदा जोखिम सूचकांक (Disaster Risk Index; DRI) का निरूपण किया गया।
इस सूचकांक में सर्वाधिक 90 अंको के साथ ओडिशा शीर्ष पर, 35 अंको के साथ गोवा अंत में तथा 50 अंको के साथ उत्तराखण्ड 21वे स्थान पर है।
राज्यों के लिये संसाधनों का आवंटन
राज्य आपदा जोखिम प्रबन्धन कोष (SDRMF) के अन्तर्गत राज्यों को दिये जाने वाले आर्थिक संसाधनों के आंकलन के लिये 15वे वित्त आयोग के द्वारा सबसे पहले पूर्व में की गयी गणना के अनुरूप प्रत्येक राज्य के लिये पूर्व के 07 वर्षो में किये गये व्यय, भौगोलिक क्षेत्रफल व आबादी के आधार पर निरूपित अंको को जोड़ा गया।
W = AE70 + A15 + P15
फिर इस संख्या को आपदा जोखिम सूचकांक (DRI) के अन्तर्गत राज्य को प्राप्त अंको से गुणा किया गया।
Y = W * DRI
अन्त में ऊपर प्राप्त इन दोनों संख्याओं को परस्पर जोड़ दिया गया।
Z = Y + W = W*DRI + W
उपरोक्तानुसार प्राप्त आधार परिमाण से वर्ष 2020-21 के लिये राज्यों के आवंटन के निर्धारण के लिये 5 प्रतिशत वार्षिक मुद्रास्फीति की दर को संज्ञान में लिया गया।
साथ ही त्वरित बाढ़, भू-स्खलन व पहाड़ी क्षेत्रों में घटित होने वाली अन्य आपदाओं के कारण उत्तरपूर्वी व हिमालयी राज्यों में विशेष रूप से आवागमन के प्रायः बाधित होने को संज्ञान में लेते हुवे 15वे वित्त आयोग के द्वारा अवसंरचनाओं को आपदा सुरक्षित बनाने के लिये इन राज्यों के लिये 11 प्रतिशत अतिरिक्त आवंटन की व्यवस्था की गयी।
इस प्रकार पहली बार किसी वित्त आयोग के द्वारा वस्तुनिष्ठ रूप से राज्यों पर आसन्न आपदाओं के जोखिम को संज्ञान में लेते हुवे वित्तीय संसाधनों के आवंटन की संस्तुति की गयी।
15वे वित्त आयोग के द्वारा आपदा जोखिम सूचकांक निर्धारण करने की तरकीब में आपको निश्चित ही अनेको कमिया दिखाई दे सकती हैं; वैसे दूसरो के काम में कमी निकालना सरल होने के साथ ही हमारी आदत में भी शुमार हैं। पर 15वे वित्त आयोग के द्वारा इस आंकलन के लिये उपयोग में लाये गये आंकड़ों पर बारीकी से ध्यान देने पर आप मानेंगे कि पूरे देश के लिये इन्हे एकत्रित करना सरल नहीं रहा होगा।
वैसे ही आने वाले समय में यह विधि व प्रक्रिया निश्चित ही परिष्कृत होगी और हो सकता हैं कि 15वे वित्त आयोग की देखा-देखी कुछ राज्य जनपदों व तहसीलों के लिये भी आपदा जोखिम सूचकांक निर्धारित करना आरम्भ कर दें।
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