जीवन व सम्पत्ति बचाने के बाद आपदा के प्रभावितो के दिमाग में जो सबसे पहली बात आती हैं, ज्यादातर स्थितियों में नुकसान का आंकलन करने व क्षति की भरपाई से सम्बन्धित होती हैं और ऐसे में प्रभावित व्यक्ति को ऐसे प्रकरणों में सरकार या अन्य स्त्रोतों के द्वारा दी जाने वाली सहायता का भी खयाल आ सकता हैं।
वैसे तो सड़क पर हुवा हादसा भी आपदा हैं, कम से कम प्रभावित और उसके परिवार के लिये तो ऐसा ही हैं।
पर क्या आपदा प्रभावितो की तरह सड़क पर हुयी दुर्घटना से प्रभावित व्यक्ति का व्यवहार भी ऐसा ही होता हैं?
क्या सड़क दुर्घटना के बाद सहायता के लिये हम किसी सरकारी अधिकारी की गुहार लगाते हैं या फिर बीमा कम्पनी के लोगो की शरण में जाते हैं?
वैसे तो बीमा को सभी के द्वारा जोखिम हस्तान्तरण व आपदा उपरान्त पुनर्प्राप्ति का महत्वपूर्ण उपकरण माना गया हैं, पर आपदा के परिप्रेक्ष्य में परिसम्पत्तियों का बीमा करवाते ही कितने लोग हैं? फिर घर का बीमा करवाने वालो में से भी ज्यादातर केवल आग व चोरी का ही तो बीमा करवाते हैं।
पर वाहन के परिप्रेक्ष्य में ऐसा नहीं हैं। अनिवार्य होने के कारण ज्यादातर वाहन बीमा लाभ से आच्छादित होते हैं।
ऐसे में सड़क दुर्घटना से प्रभावित होने पर ज्यादातर लोग बीमा कम्पनी को ही गुहार लगाते हैं।
ऐसे स्थिति में मेरे जैसे आपदा प्रबन्धक के दिल में इस प्रश्न का उठना सामान्य है और इस दिलचस्पय तथ्य को मैं माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के भी संज्ञान में लाना चाहूंगा कि इस से तो यही लगता हैं कि हमारी सरकार सड़क पर चलने वाले वाहनों की सुरक्षा व उनको हुयी क्षति के प्रति तो निश्चित ही गम्भीर हैं पर ऐसी गम्भीरता आपदा से होने वाली क्षतियो के सन्दर्भ में नज़र नहीं आती हैं वरना तो हमने घरो व अन्य अवसंरचनाओं का आपदा बीमा भी अनिवार्य किया होता।
वाहन बीमा विकल्प
अब आपदा को छोड़ ध्यान वाहनों पर केन्द्रित करते हैं और अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर मैं आपको बताऊंगा कि आपको अपने वाहन का बीमा करवाने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और क्यों केवल कुछ पैसे बचाने के लिये इस विषय पर धड़ल्ले से प्रचारित किये जा रहे विज्ञापनों के फेर में नहीं पड़ना चाहिये। इस वक्तव्य में न ही कोई अतिश्योक्ति हैं और न ही कोई तथ्य छुपाया गया हैं।
अब जैसा कि मध्यमवर्गीय परिवारों में होता हैं – हमारी 10-5 गाड़िया तो होती नहीं हैं और हम खर्च करने से पहले चार बार सोचते हैं। ऐसे में ज्यादातर स्थितियों में हम इधर-उधर से जुगाड़ कर के या किसी वित्तीय संस्थान से ऋण ले कर वाहन खरीदते हैं – इस के आलावा कोई और विकल्प जो नहीं होता हैं। ऐसे में पहली बार हमें पुराना वाहन खरीदने में भी परहेज नहीं होता हैं – इससे कुछ पैसा जो बच जाता हैं।
ऐसे में मेरे जैसे मध्यमवर्गीय व्यक्ति को वाहन खरीदते समय सबसे ज्यादा दो चीजे अखरती हैं – परिवहन कर और बीमा का प्रीमियम। फिर बीमा का प्रीमियम बार-बार भी तो देना होता हैं। सो यह हर साल और बार-बार अखरता हैं।
नये वाहन की खरीद और बीमा
कई सालो तक बिना वाहन के जिन्दगी बिताने के बाद, कोरोना काल के उपरान्त मैंने भी जुगाड़ व जद्दो-जहद कर के अपनी हैसियत के साथ ही व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिहाज से पर्याप्त, पर पड़ोसियों व नाते-रिश्तेदारो के मध्य सनसनी बन सकने में नाकाम Nissan Magnite खरीदने का फैसला कर ही लिया।
विभिन्न कारणों से सरकार ने एकमुश्त भुगतान किया था, सो बैंक से ऋण कि जगह एकमुश्त भुगतान का विकल्प ही बेहतर लगा। खरीदते वक्त बीमा की किश्त अखरी तो बहुत पर ना जाने क्यों बिना चू-चपड़ के जहाँ और जैसे बीमा करवाने को कहा गया – करवा लिया।
सो यह बीमा ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd. से करवाया गया था (3001/NI-16883018/00/000 दिनांक 28.01.20222) और उस समय मुझे व्यक्तिगत रूप से यह निश्चित ही महंगा भी लगा था पर बाजार में भी तो एकदम से अपने-आप को फटीचर घोषित नहीं कर सकने का साहस भी तो नहीं था।
सो जेब पर भरी पड़ने के बावजूद बेकार के आत्मसम्मान के चक्कर में ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd. का प्रस्ताव जैसा था, बिना मीन-मेख के स्वीकार कर लिया गया।
इस बीमा अवधि में 02 बार शायद मेरी लापरवाही या फिर दूसरो की जल्दबाजी की वजह से वाहन (UK07 FB8883) दो बार दुर्घटनाग्रस्त हुवा और इन में से पहली दुर्घटना तो वाहन लेने के कुछ ही दिनों बाद घटित हुयी थी और नुकसान भी अच्छा-खासा हुवा था। पर दोनों ही अवसरों पर न तो बीमा प्रदाता संस्था (ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd.) से किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं रही। उनके द्वारा बीमा के कागजो के आलावा केवल मेरा driving license व वाहन के पंजीकरण के कागज ही मांगे गये, जो मैंने मरम्मत के लिये वाहन भेजते समय कार्यालय के वाहन चालक के ही हाथ भेज दिये और नियत अवधि के उपरान्त वही वाहन वापस भी ले आया।
सो दुर्घटना के उपरान्त वाहन की मरम्मत को ले कर मुझे लिसी भी प्रकार की परेशानी या झंझट का सामना नहीं करना पड़ा।
बीमा नवीनीकरण
विगत में ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd. ने बिना ना-नुकर के साल में दो बार मुझे बीमा का लाभ दिया था।
सच कंहू तो अपने अच्छे अनुभव के उपरान्त मुझे ICICI Lombard General Insurance Co. Ltd के साथ ही आगे के समय के लिये सम्बन्ध बनाये रखना चाहिये था, पर विज्ञापनों की बयार व हिंदुस्तानी मानसिकता ने मुझे नये विकल्पों की तलाश आरम्भ करने को मजबूर कर दिया।
सो कई अन्य बीमा प्रदाता संस्थाओ से प्रस्ताव लिये गये और इनकी तुलना Policy Bazar पर उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के साथ की गयी।
करना तो नहीं चाहिये था, पर सच कहो तो मैं बह गया – और सस्ते के चक्कर में मैंने बीमा नवीनीकरण Policy Bazar के माध्यम से United India Insurance Company Ltd से करवा लिया (Policy No. 223000312311230160040409).
अब मध्यमवर्गीय मानसिकता हैं, पैसा बचाया हैं तो उसका बखान करने के साथ ज्ञान बांटना भी जरूरी हैं। सो बीमा करवाने की जुगत में लगे मित्रो के बीच Policy Bazar के फायदों का बखान करने का मैं की मौका नहीं छोड़ता था।
Policy Bazar का खेल
अब राय चाहे कितने ही बड़े व नामी विशेषज्ञ या परामर्शदाता के द्वारा ही क्यों न दी गयी हो, उसकी प्रभाविकता या उपयोगिता का पता तो आवश्यकता के समय राय पर अमल करने पर ही पड़ता हैं।
सो उस दिन मुझे भी बीमा के सम्बन्ध में लिये गये अपने निर्णय की प्रभाविकता आंकने का मौका भी मिल ही गया।
अब सड़क पर चलते पता नहीं उस दिन कहाँ से व किस तरह पर एक कंकड़ उछला और आ कर सामने के शीशे पर ऊपर की ओर आ लगा जिससे शीशे पर एक दरार आ गयी। बीमा था और जल्द ही अवधि ख़त्म होने को थी, सो बीमा का ही लाभ लेना औचित्यपूर्ण लगा।
पहले तो विगत के अनुभवों के आधार पर वाहन की अधिकृत कम्पनी के पास ही जाना था, पर बीमा के कागजो में Policy Bazar द्वारा दिये गये नम्बर पर सूचना देने को कहा गया था।
Policy Bazar में बात करने पर पता चला कि उनके द्वारा वाहन की अधिकृत कम्पनी के स्थान पर मरम्मत के काम के लिये Go Mechanic को अधिकृत किया गया हैं और यह काम उसी के माध्यम से करवाया जायेगा।
Policy Bazar में बीमा लाभ लिये जाने सम्बन्धित अनुरोध पंजीकृत करने के तुरन्त बाद Go Mechanic के द्वारा सम्पर्क कर जल्दबाजी में दो-चार अभिलेख (PAN, AADHAR, Driving License, व Vehicle Registration Certificate) मांगे गये। हालाँकि केवल सामने का शीशा बदला जाना था, सो जैसा कि तर्कसंगत था मेरे द्वारा उसकी उपलब्धता व मरम्मत पर लगने वाले समय के सम्बन्ध में जानकारी देने का अनुरोध किया गया।
बताया गया कि असल काम तो बस कुछ घंटो का ही हैं, समय तो बस बीमा कम्पनी के द्वारा Surveyor नियुक्त करने और उसकी आख्या के अनुमोदन में ही लगना हैं। फिर भी आश्वस्त किया गया कि जल्द से जल्द करने कि कोशिश के जायेगी और वाहन उपलब्ध करवाये जाने के 48 घंटो में वाहन वापस कर दिया जायेगा।
बातचीत पेशेवर सी लगी और ऐसे में सारा दायित्व Go Mechanic को वाहन उपलब्ध करवाने पर टिका था।
काम कर देने की Go Mechanic की प्रतिबद्धता का एहसास उनके द्वारा 19 दिसंबर की रात को ही जल्दबाजी में ड्राइवर भेज कर वाहन उठा लेने से भी लगा और इससे में दोबारा से आश्वस्त हो गया कि काम संतोषपूर्ण होगा और वाहन समय पर वापस मिल जायेगा।
झटके पे झटका
20 दिसंबर की शाम को इस आशा के साथ Go Mechanic से सम्पर्क किया गया कि शायद काम शुरू हो गया हो।
पहला झटका इस के बाद लगा – बताया गया कि अभी मेरे स्तर से को Vehicle Accident Intimation व Motor Claim Form उपलब्ध करवाए जाने बांकी है और बीमा कम्पनी के द्वारा Surveyor नियुक्त करने कि कार्यवाही इसके बाद ही आरम्भ कि जायेगी।
पहले दो बार बीमा लाभ ले लेने के बाद भी मैं पहली बार इन दोनों के बारे में सुन रहा था। सरसरी देखने पर Vehicle Accident Intimation Form किसी भी तरह से FIR से कम नहीं लगा। पर ओखली में सर दे देने के बाद मूसल से तो डरा नहीं जा सकता था, सो बेमन से ही सही दोनों फॉर्म भर कर वापस भेज दिये गये।
वापस फ़ोन करने पर बताया गया कि 1-2 दिन में Surveyor नियुक्त हो जायेगा, फिर कुछ समय उसकी आख्या के अनुमोदन में लगेगा और उसके बाद शुरू होगी असली मरम्मत जिसमे कि बताया गया कि वाहन वापस मिलने में कम से कम 10-12 दिन लगेंगे।
इन दिनों सर्दी अपने चरम पर थी और एक ही दिन स्कूटर से दफ्तर जाने में हवा शंट हो गयी थी, ऐसे में आगे 10 – 12 दिनों तक ऐसे ही सोच कर होश फाख्ता हो गये।
सो मरम्मत और बीमा लाभ अलग; Go Mechanic से वाहन वापस उपलब्ध करवाये जाने का अनुरोध करने के आलावा और कोई विकल्प रह नहीं गया था।
ऐसे में बताया गया कि यह अनुरोध Policy Bazar से करना होगा और उसके अनुमोदन के बाद ही वाहन वापस मिल पायेगा।
अब मरता क्या न करता, Policy Bazar से वाहन वापस उपलब्ध करवाये जाने का अनुरोध किया गया।
इस बात को दो दिन हो गये हैं और में स्कूटर से दफ्तर आ – जा रहा हूँ और लगातार Policy Bazar और Go Mechanic से मांगी जा रही जानकारियाँ देने के साथ ही वाहन वापस पाने कि राह देख रहा हूँ।
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